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का पुछत हो परिचय स्वामी
तुम सब जानत अंतर्यामी
जब निज धाम लौटि प्रभु आहियों
सेवक को तब परिचय पहियों
सेवा का अवसर मोहे दीन्हों
बहुत अनुग्रह मों पर किन्हों
राम लखन के दर्शन पायी
मै कृत कृत्य भयो रघुराई
मै कृत कृत्य भयो रघुराई
कर के पुण्य प्रदक्षिणा
नाथ ही कियो प्रणाम
वेदध्वन करतो भयो गरुड़ चलो निज धाम