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Nitin Mukesh - Vismit Ho Kar Garud Prabhu Ke Mukh Ki Ore Nihare Lyrics

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Nitin Mukesh - Vismit Ho Kar Garud Prabhu Ke Mukh Ki Ore Nihare Lyrics
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विस्मित हो कर
विस्मित हो कर गरुड़ प्रभु के मुख की ओर निहारे
ये कैसे बंधन
ये कैसे बंधन बीच बंधे ओ बंधन काटन हारे
बंधन काटन हारे
ब्रम्हास्त्र का मान न जाए बंधन मे स्वयं बँधाये
तुम्हरी लीला हो तुम्हरी लीला तुम ही जानो
राम रमापति प्यारे, राम रमापति प्यारे
मूख देखत मन न धावे पुनि पुनि चरणन सिर नावे
भूल गया
हो भूल गया केहि कारण आया भक्ति विभोर भया रे
मुख की ओर निहारे
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विस्मित हो कर
विस्मित हो कर गरुड़ प्रभु के मुख की ओर निहारे
ये कैसे बंधन
ये कैसे बंधन बीच बंधे ओ बंधन काटन हारे
बंधन काटन हारे
ब्रम्हास्त्र का मान न जाए बंधन मे स्वयं बँधाये
तुम्हरी लीला हो तुम्हरी लीला तुम ही जानो
राम रमापति प्यारे, राम रमापति प्यारे
मूख देखत मन न धावे पुनि पुनि चरणन सिर नावे
भूल गया
हो भूल गया केहि कारण आया भक्ति विभोर भया रे
मुख की ओर निहारे
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Biju Narayanan, C. O. Anto, K. S. Chithra, M. G. Sreekumar, Sujatha
Copyright: Lyrics © Divo TV Private Limited, Sony/ATV Music Publishing LLC
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