विस्मित हो कर
विस्मित हो कर गरुड़ प्रभु के मुख की ओर निहारे
ये कैसे बंधन
ये कैसे बंधन बीच बंधे ओ बंधन काटन हारे
बंधन काटन हारे
ब्रम्हास्त्र का मान न जाए बंधन मे स्वयं बँधाये
तुम्हरी लीला हो तुम्हरी लीला तुम ही जानो
राम रमापति प्यारे, राम रमापति प्यारे
मूख देखत मन न धावे पुनि पुनि चरणन सिर नावे
भूल गया
हो भूल गया केहि कारण आया भक्ति विभोर भया रे
मुख की ओर निहारे