तेरे सपनो के बादल पे
सुन्दर समां है है महफ़िल जवान
हवाओं ने चीखा है शामिल भी शाम
मुक़द्दर सिकंदर का भी मानना है
के मेरा एक छोटा सा घर है यहां
तू चाहे या न चाहे जान
जो परदे उठे तू कहाँ मैं यहीं हूँ
मैं करवटे बदलता हूँ सोता नहीं हूँ
तू सपनो की रानी मैं रातों का राजा
तू भोली कहानी मैं आंधी का वादा
है किसकी ये मर्ज़ी ये किसने लिखा
तू चाहे या न चाहे जान
तू चाहे या न चाहे जान
तू चाहे या न चाहे जान
आजा समा में तारे न देखे
होश उड़ाने वाले राहें न मिलें
रक्त ही रहे लाल सियाही की चीठी
भीगे कागज़ का अधूरा सूना फ़साना
है लाल नीली पीली ये मन की तरंगें
सब हँसते है मुझपे
फिर जलते सभी हैं
हवाओं ने चीखा है शामिल भी शाम
मुक़द्दर सिकंदर का भी मान न है
के तेरा भी छोटा सा घर है यहां
तू चाहे या न चाहे जान
तू चाहे या न चाहे जान
तू चाहे या न चाहे जान