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Prince Gaurav Jain - Oh Hansini Lyrics



Prince Gaurav Jain - Oh Hansini Lyrics
Official




ओ हंसिनी मेरी हंसिनी, कहाँ उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख लगा के, कहाँ उड़ चली
ओ हंसिनी मेरी हंसिनी, कहाँ उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख लगा के, कहाँ उड़ चली

आजा मेरी सांसो में महक रहा रे तेरा गजरा
आजा मेरी रातों में लहक रहा रे तेरा कजरा
आजा मेरी सांसो में महक रहा रे तेरा गजरा
हो आजा मेरी रातों में लहक रहा रे तेरा कजरा
ओ हंसिनी मेरी हंसिनी, कहाँ उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख लगा के, कहाँ उड़ चली

देर से लहरों में कमल संभाले हुए मन का
जीवन तल में भटक रहा रे तेरा हंसा
हो देर से लहरों में कमल संभाले हुए मन का
हो जीवन तल में भटक रहा रे तेरा हंसा
ओ हंसिनी मेरी हंसिनी, कहाँ उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख लगा के, कहाँ उड़ चली
कहाँ उड़ चली कहाँ उड़ चली
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ओ हंसिनी मेरी हंसिनी, कहाँ उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख लगा के, कहाँ उड़ चली
ओ हंसिनी मेरी हंसिनी, कहाँ उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख लगा के, कहाँ उड़ चली

आजा मेरी सांसो में महक रहा रे तेरा गजरा
आजा मेरी रातों में लहक रहा रे तेरा कजरा
आजा मेरी सांसो में महक रहा रे तेरा गजरा
हो आजा मेरी रातों में लहक रहा रे तेरा कजरा
ओ हंसिनी मेरी हंसिनी, कहाँ उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख लगा के, कहाँ उड़ चली

देर से लहरों में कमल संभाले हुए मन का
जीवन तल में भटक रहा रे तेरा हंसा
हो देर से लहरों में कमल संभाले हुए मन का
हो जीवन तल में भटक रहा रे तेरा हंसा
ओ हंसिनी मेरी हंसिनी, कहाँ उड़ चली
मेरे अरमानों के पंख लगा के, कहाँ उड़ चली
कहाँ उड़ चली कहाँ उड़ चली
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Writer: MAJROOH SULTANPURI, RAHUL DEV BURMAN
Copyright: Lyrics © Royalty Network




Prince Gaurav Jain - Oh Hansini Video
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