कारी कारी रैना सारी सौ अंधेरे क्यूँ लाई
क्यूँ लाई
रोशनी के पावं में ये बेड़ियाँ सी क्यूँ आईं
क्यूँ आईं
उजियारे कैसे
अंगारे जैसे
च्चाओं च्चाली धूप मैली क्यू है री
कारी कारी रैना सारी सौ अंधेरे क्यूँ लाई
क्यूँ लाई
रोशनी के पावं में ये बेड़ियाँ सी क्यूँ आईं
क्यूँ आईं
उजियारे कैसे
अंगारे जैसे
च्चाओं च्चाली धूप मैली क्यू है री
तितलियों के पंखों पर
रख दिए गये पत्थर
आए खुदा तू गुम है कहाँ
रेशमी लिबासों को चीरते हैं कुछ खंजर
आए खुदा तू गुम है कहाँ
क्या रीत चल पड़ी है
क्या आग जल पड़ी है
क्यूँ चीखता है सूरमाई धुआँ
क्या रीत चल पड़ी है
क्या आग जल पड़ी है
क्यूँ चीखता है सूरमाई धुआँ
कारी कारी रैना सारी सौ अंधेरे क्यूँ लाई
क्यूँ लाई
रोशनी के पावं में ये बेड़ियाँ सी क्यूँ आईं
क्यूँ आईं
उजियारे कैसे
अंगारे जैसे
च्चाओं च्चाली धूप मैली क्यू है री
पंखुड़ी क बेटी है
कंकरो पे लेटी है
बारिशें है तेज़ाब की
ना ये उठके चलती है
ना चीता में जलती है
लाश है यह किस ख्वाब की
रातों मैं पल रही हैं
सड़कों पे चल रही हैं
क्यूँ बाल खोले दहशतें यहाँ
रातों मैं पल रही हैं
सड़कों पे चल रही हैं
क्यूँ बाल खोले दहशतें यहाँ
कारी कारी रैना सारी सौ अंधेरे क्यूँ लाई
क्यूँ लाई
रोशनी के पावं में ये बेड़ियाँ सी क्यूँ आईं
क्यूँ आईं
उजियारे कैसे
अंगारे जैसे
च्चाओं च्चाली धूप मैली क्यू है री