अती पराक्रमी महाबली पिता भक्त यूवराज
एका की असहाय मृत द्वार पड़ा है आज
एक राज पुत्र एक तेज वंद एक शक्तिमान कह लाके
गया परमवीर की भांति वीर के हाथ वीरगति पाके
सम्मान सहित रघुवर ने उसे भेजा निज वस्त्र उढ़ाके
लंका का दीप लंका के आगे हनुमान ने रख दिया लाके