पर्वत यूँ जगमग करे ज्यू चमके आकाश
उतरे कपि गिरी द्रोण पर अद्भुत देखि प्रकाश
जगमग करता गिरी हुआ ज्यों पल भर मे सुप्त
आगंतुक को देख हुई दिव्य बूटियाँ लुप्त
We currently do not have these lyrics.
If you would like to submit them, please use the form below.
We currently do not have these lyrics.
If you would like to submit them, please use the form below.
पर्वत यूँ जगमग करे ज्यू चमके आकाश
उतरे कपि गिरी द्रोण पर अद्भुत देखि प्रकाश
जगमग करता गिरी हुआ ज्यों पल भर मे सुप्त
आगंतुक को देख हुई दिव्य बूटियाँ लुप्त