[ Featuring ]
राम बिलोके लोग सब चित्र लिखे से देखि
चितई सीय कृपायतन जानी बिकल विसेखि
द्रषित बारि बिनु जो तनु त्यागा
मुएँ करइ का सुधा तड़ागा
का बरखा सब कृषी सुखानें
समय चुकें पुनि का पछितानें
अस जियँ जानि जानकी देखी
प्रभु पुलके लखि प्रीति बिसेखि
गुरहि प्रनामु मनहिं मन कीन्हा
अति लाघवँ उठाइ धनु लीन्हा