सब असुरन के नाम के धरी तरकश मे तीर
नई दिशा मे पग धरो कर्म वीर रघुवीर
जिस कारण आये उस कारज श्री रघुवीर चले
मही निष्कंटक करन हरन
मही निष्कंटक करन हरन (मही निष्कंटक करन हरन)
मुनि जन के तीर चले(मुनि जन के तीर चले)
जिस कारण आये उस कारज (जिस कारण आये उस कारज)
(श्री रघुवीर चले (श्री रघुवीर चले)