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Ravindra Jain - Sab Arusan Ke Naam Ke Dhari Tarkash Mein Teer Lyrics



Ravindra Jain - Sab Arusan Ke Naam Ke Dhari Tarkash Mein Teer Lyrics
Official




सब असुरन के नाम के धरी तरकश मे तीर
नई दिशा मे पग धरो कर्म वीर रघुवीर

जिस कारण आये उस कारज श्री रघुवीर चले
मही निष्कंटक करन हरन

मही निष्कंटक करन हरन (मही निष्कंटक करन हरन)
मुनि जन के तीर चले(मुनि जन के तीर चले)
जिस कारण आये उस कारज (जिस कारण आये उस कारज)
(श्री रघुवीर चले (श्री रघुवीर चले)
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सब असुरन के नाम के धरी तरकश मे तीर
नई दिशा मे पग धरो कर्म वीर रघुवीर

जिस कारण आये उस कारज श्री रघुवीर चले
मही निष्कंटक करन हरन

मही निष्कंटक करन हरन (मही निष्कंटक करन हरन)
मुनि जन के तीर चले(मुनि जन के तीर चले)
जिस कारण आये उस कारज (जिस कारण आये उस कारज)
(श्री रघुवीर चले (श्री रघुवीर चले)
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Writer: K. S. Chithra, S. P. Balasubrahmanyam
Copyright: Lyrics © Divo TV Private Limited, Sony/ATV Music Publishing LLC




Ravindra Jain - Sab Arusan Ke Naam Ke Dhari Tarkash Mein Teer Video
(Show video at the top of the page)

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