दो अनजाने गुमशहूदा रात में
क्यों मिले
दो अनजाने गुमशहूदा रात में
क्यों मिले
कोई तारा टूटा होगा
कोई अपना छूटा होगा
भटकी हुई किसी क्षति को
किनारा दिखा होगा
कोई तारा टूटा होगा
कोई अपना छूटा होगा
भटकी हुई किसी क्षति को
किनारा
दो अनजाने गुमशहूदा रात में
क्यों मिले
अनजाने रास्ते थे जुड़ गए
मुश्किले थी जो राहों में मुड़ गए
अनजाने रास्ते थे जुड़ गए
मुश्किले थी जो राहों में मुड़ गए
एक फलक रोशी सी खिल गयी
एक सितारा खिला होगा
दो अनजाने गुमशहूदा रात में
क्यों मिले
जाने क्यों यह लगे
मैं जानू ना
एहसास अन्जाना
पहचानू ना
जाने क्यों यह लगे
मैं जानू ना
एहसास अन्जाना
पहचानू ना
आज फिर ज़िन्दगी को कोई
सहारा मिला होगा
दो अनजाने गुमशहूदा रात में
क्यूँ मिले क्यूँ मिले
क्यों मिले
क्यों मिले