क्यूँ, न हम-तुम
चले टेढ़े-मेढ़े से रास्तों पे नंगे पाँव रे
चल, भटक ले ना बावरे
क्यूँ, न हम तुम
फिरे जाके अलमस्त पहचानी राहों के परे
चल, भटक ले ना बावरे
इन टिमटिमाती निगाहों में
इन चमचमाती अदाओं में
लुके हुए, छुपे हुए
है क्या ख़याल बावरे
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क्यूँ, न हम-तुम
चले टेढ़े-मेढ़े से रास्तों पे नंगे पाँव रे
चल, भटक ले ना बावरे
क्यूँ, न हम तुम
फिरे जाके अलमस्त पहचानी राहों के परे
चल, भटक ले ना बावरे
इन टिमटिमाती निगाहों में
इन चमचमाती अदाओं में
लुके हुए, छुपे हुए
है क्या ख़याल बावरे