वो सुबह शाम दिन और रात लिखी है
तेरे चेहरे पे मोहब्बत की हर बात लिखी है
दिल चाहता है पढता रहु उम्र भर ये चेहरा
तेरे चेहरे पे मेरी शायरी की सौगात लिखी है
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
मैं शायर तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको मुझको
शायरी आ गई
मैं आशिक तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको मुझको
आशिक़ी आ गई
मैं शायर तो नहीं
तुम्हे देखा तो समझा दिलदार किसे कहते है
तुम्हे पाया तो समझा प्यार किसे कहते है
प्यार का नाम मैंने सुना था मगर
प्यार क्या है ये मुझको नहीं थी खबर
प्यार का नाम मैंने सुना था मगर
प्यार क्या है ये मुझको नहीं थी खबर
मैं तो उलझा रहा उलझनों की तरह
दोस्तों में रहा दुश्मनों की तरह
मैं दुश्मन तो नहीं
मैं दुश्मन तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको मुझको
आशिक़ी आ गई
मैं शायर तो नहीं
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
ये सुबह तेरी आँख की पलकों की खुलन है
ये शाम तेरे होठों की हलकी सी छुअन है
ये रात तेरी जुल्फ में उलझी हुई हसरत है
ये उम्र तेरी यादों में साँसों की धड़कन है
सोचता हूँ अगर मैं दुआ मांगता
हाथ अपने उठाकर मैं क्या मांगता
सोचता हूँ अगर मैं दुआ मांगता
हाथ अपने उठाकर मैं क्या मांगता
जब से तुझसे मुहब्बत मैं करने लगा
तब से ऐसे इबादत मैं करने लगा
मैं क़ाफ़िर तो नहीं
मैं क़ाफ़िर तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैंने तुझको मुझको
आशिक़ी आ गई
मैं शायर तो नहीं
मगर ऐ हसीं
जब से देखा मैं ने तुझको मुझको
शायरी आगई
मैं आशिक तो नहीं