धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ ही धुआँ
धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ ही धुआँ
ये साजिशे दिशाओं की, ये साजिशे हवाओं की
लहुलुहान हो गई ज़मी ये देवताओं की
ना शंख की सदाएं है, ना अब सदा आज़ान की
नज़र मेरी ज़मीन को लगी है आसमान की
है दरबदर ये लोग क्यूँ जले है क्यूँ मकां
धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ ही धुआँ
ये किसने आग डाल दी है नर्म नर्म घास पर
लिखा हुआ है ज़िंदगी यहाँ हर एक लाश पर
ये तख्त की लड़ाई है, ये कुर्सियों की जंग है
ये बेगुनाह खून भी सियासतों का रंग है
लकीर खेच दी गई दिलों के दरमिया
धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ ही धुआँ (धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ ही धुआँ)
धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ ही धुआँ (धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ धुआँ ही धुआँ)
आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ