[ Featuring Rahul Srivastava ]
चाँद निकल कर बादल से भर रात हमें क्यू तकता हैं
चाँद निकल कर बादल से भर रात हमें क्यू तकता हैं
शायद वो भी सिने मे एक प्यार भरा दिल रखता हैं
चाँद निकल कर बादल से भर रात हमें क्यू तकता हैं
पलके तुम गिरा लो आँखे मिचले हम
सारी खिड़खियो के पर्दे खींच ले हम
ओ हर्षे नूर जिसका उससे क्या छुपाये
अब तो चाँदनी मे मिलके भीग जाए
मिलके भीग जाए
चाँद निकल कर बादल से भर रात हमें क्यू तकता हैं
चाँद निकल कर बादल से भर रात हमें क्यू तकता हैं
क्यू ना आज उड़कर छुले सारा अंबर
फर्श बादलो का तारो का हो झूमर
आओ दिल लगाए प्यार मे नहाए
रात मुख़्तसर हैं क्यू इसे गवाए
क्यू इसे गवाए
चाँद निकल कर बादल से भर रात हमें क्यू तकता हैं
शायद वो भी सिने मे एक प्यार भरा दिल रखता हैं