[ Featuring Ram Sampath, Swanand Kirkire ]
धीमे धीमे चले पुरवैया
बोले थाम तू मेरी बइयाँ
संग चल मेरे रोके क्यों जिया
हो धीमे धीमे चले पुरवैया
रुत ये अनोखी सी आई सजनिया
बादल की डोली में लो बैठी रे बूंदनयां
धरती से मिलने को निकले सावनिया
सागर में घुलने को चली देखो नदियाँ
धीमे धीमे चले पुरवैया ओ ओ
बोले थाम तू मेरी बइयाँ
संग चल मेरे रोके क्यों जिया
हो धीमे धीमे चले पुरवैया
नया सफर है एक नया हौसला
बांधा चिड़ियों ने नया घोसला
नई आशा का दीपक जला
चला सपनों का नया काफिला
कल को करके सलाम
आचल हवाओ का थाम
देखो उडी एक धानी चुनरिया हो
धीमे धीमे चले पुरवैया हो ओ
बोले थाम तू मेरी बइयाँ
संग चल मेरे रोके क्यों जिया
हो धीमे धीमे चले पुरवैया
आ आ आ आ (आ आ)
पुरवैया चले पुरवैया
आ आ आ आ (आ आ)