क्यूँ फूलों के
खिले खिले रंग उड गये
क्यूँ फूलों के
खिले खिले रंग उडद गये
क्यूँ इन्न दीनो खुद से रहती
हूँ मैं खफा खफा खफा खफा
क्यूँ फूलों के खिले खिले
रंग उड गये
क्यूँ फूलों के खिले खिले
रंग उड गये
जाने कैसे मुलाक़ातों में
यूउन ही ऐसी वैसी बातों में
करे छ्होटे मोटे वादे थे
किसी छ्होटे से बहाने से
पाके तुझे खो दिया
मेरी ही है ख़ाता मेरी ही है सज़ा
फिर भी दिल कहे यह क्या हुवा
क्यूँ इन्न दीनो खुद से रहती हूँ मैं
खफा खफा खफा खफा
क्यूँ फूलों के खिले खिले
रंग उड गये
धुंवा धुंवा सी कहानी है
कभी आँखों में भी पानी है
गालों से यह जो गुजराती है
तेरे घूम की निशानी है
मिट सी गयी है दुवा
मेरी ही है ख़ाता मेरी ही है सज़ा
फिर भी दिल कहे यह क्या हुवा
क्यूँ इन्न दीनो खुद से रहती हूँ मैं
खफा खफा खफा खफा
क्यूँ फूलों के खिले खिले
रंग उड गये
क्यूँ फूलों के खिले खिले
रंग उड गये