Back to Top

Shubha Mudgal - Hai Pyar To Musafir Lyrics



Shubha Mudgal - Hai Pyar To Musafir Lyrics
Official




कब आए कब जाए कहा ठहरे क्या खाए
है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए
नाराज़ होता है उकता जाता है
कौन जाने किसकी बातो मे आता है
बस उठता है चला जाता है
कितना कोई रोके कितना समझाए
है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए

कब आए कब जाए कहा ठहरे क्या खाए
है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए
नाराज़ होता है उकता जाता है
कौन जाने किसकी बतो मे आता है
बस उठता है चला जाता है
कितना कोई रोके कितना समझाए

है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए (मुसाफिर आए जाए)

आँह आ आ आ आ
एह ए ए ए

कभी उमर भर इंतेज़ार करवाए
कभी दरवाज़े पे खड़ा मुस्कुराए
गली गली सहर सहर टहलता रहता है
ना कुछ सुनता है ना कुछ कहता है
फिर भी बैठा है सब आस लगाए
क्या पता कब इसकी राह मे आ जाए
है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए ए ए ए

ना रुपया ना पैसा जो कोई कमाए
ना शर्बत ना पानी जो कोई बहाए
ना धूप ना बत्ती जो कोई जलाए
ना रेखा ना कुंडली जो कोई पढ़ाए
ना मंदिर ना मस्जिद जो कोई बनाए
मन से ही निकले और मन मे ही समाए
है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए ए ए ए
है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए ए ए ए
है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए
[ Correct these Lyrics ]

[ Correct these Lyrics ]

We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.


We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.




कब आए कब जाए कहा ठहरे क्या खाए
है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए
नाराज़ होता है उकता जाता है
कौन जाने किसकी बातो मे आता है
बस उठता है चला जाता है
कितना कोई रोके कितना समझाए
है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए

कब आए कब जाए कहा ठहरे क्या खाए
है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए
नाराज़ होता है उकता जाता है
कौन जाने किसकी बतो मे आता है
बस उठता है चला जाता है
कितना कोई रोके कितना समझाए

है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए (मुसाफिर आए जाए)

आँह आ आ आ आ
एह ए ए ए

कभी उमर भर इंतेज़ार करवाए
कभी दरवाज़े पे खड़ा मुस्कुराए
गली गली सहर सहर टहलता रहता है
ना कुछ सुनता है ना कुछ कहता है
फिर भी बैठा है सब आस लगाए
क्या पता कब इसकी राह मे आ जाए
है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए ए ए ए

ना रुपया ना पैसा जो कोई कमाए
ना शर्बत ना पानी जो कोई बहाए
ना धूप ना बत्ती जो कोई जलाए
ना रेखा ना कुंडली जो कोई पढ़ाए
ना मंदिर ना मस्जिद जो कोई बनाए
मन से ही निकले और मन मे ही समाए
है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए ए ए ए
है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए ए ए ए
है प्यार तो मुसाफिर मर्ज़ी से आए जाए
[ Correct these Lyrics ]
Writer: PRASOON JOSHI, SHANTANU MOITRA, JAIDEEP SAHNI
Copyright: Lyrics © Universal Music Publishing Group




Shubha Mudgal - Hai Pyar To Musafir Video
(Show video at the top of the page)

Tags:
No tags yet