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Sitara - Nagri Meri Kab Tak Yun Hi Lyrics



Sitara - Nagri Meri Kab Tak Yun Hi Lyrics
Official




नगरी मेरी कब तक यूं ही बरबाद रहेगी
नगरी मेरी कब तक यूं ही बरबाद रहेगी
दुनिया आ
दुनिया यही दुनिया है तो क्या याद रहेगी
नगरी मेरी कब तक यूं ही बरबाद रहेगी

आकाश पे निखरा हुआ है चाँद का मुखड़ा
आकाश पे निखरा हुआ है चाँद का मुखड़ा
बस्ती में गरीबों की अँधेरे का है दुखडा
दुनिया आ
दुनिया यही दुनिया है तो क्या याद रहेगी
नगरी मेरी कब तक यूं ही बरबाद रहेगी
कब होगा सवेरा

कब होगा सवेरा
कोई ऐ काश बता दे
किस वक़्त तक ऐ घूमते आकाश बता दे
इंसानों पर इंसान की बेदाद रहेगी
नगरी मेरी कब तक यूं ही बरबाद रहेगी

कहकारो से कलियो के चमन गूंज रहा है
झरनो के मधुर राग से बन गूंज रहा है
पर मेरा तो पर मेरा तो फ़रियाद से मन गूंज रहा है
पर मेरा तो फ़रियाद से मन गूंज रहा है
कब तक मेरे होठों पे ये फ़रियाद रहेगी
नगरी मेरी कब तक यूं ही बरबाद रहेगी
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नगरी मेरी कब तक यूं ही बरबाद रहेगी
नगरी मेरी कब तक यूं ही बरबाद रहेगी
दुनिया आ
दुनिया यही दुनिया है तो क्या याद रहेगी
नगरी मेरी कब तक यूं ही बरबाद रहेगी

आकाश पे निखरा हुआ है चाँद का मुखड़ा
आकाश पे निखरा हुआ है चाँद का मुखड़ा
बस्ती में गरीबों की अँधेरे का है दुखडा
दुनिया आ
दुनिया यही दुनिया है तो क्या याद रहेगी
नगरी मेरी कब तक यूं ही बरबाद रहेगी
कब होगा सवेरा

कब होगा सवेरा
कोई ऐ काश बता दे
किस वक़्त तक ऐ घूमते आकाश बता दे
इंसानों पर इंसान की बेदाद रहेगी
नगरी मेरी कब तक यूं ही बरबाद रहेगी

कहकारो से कलियो के चमन गूंज रहा है
झरनो के मधुर राग से बन गूंज रहा है
पर मेरा तो पर मेरा तो फ़रियाद से मन गूंज रहा है
पर मेरा तो फ़रियाद से मन गूंज रहा है
कब तक मेरे होठों पे ये फ़रियाद रहेगी
नगरी मेरी कब तक यूं ही बरबाद रहेगी
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Josh Malihabadi, S K Pal
Copyright: Lyrics © Royalty Network

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Sitara - Nagri Meri Kab Tak Yun Hi Video
(Show video at the top of the page)


Performed By: Sitara
Length: 3:06
Written by: Josh Malihabadi, S K Pal

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