सागर कितना मेरे पास है
मेरे जीवन में फिर भी प्यास है
सागर कितना मेरे पास है
मेरे जीवन में फिर भी प्यास है
है प्यास बड़ी, जीवन थोड़ा
अमानुष बना के छोड़ा
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा
बर्बादी की तरफ़ ऐसा मोड़ा
डूबा सूरज फिर से निकले
रहता नहीं है अँधेरा
मेरा सूरज ऐसा रूठा
देखा ना मैंने सँवेरा
बोलो सिया राम चन्दर की जय