आशाओं की लगाके सीढ़ी
तूने सहारा काट लिया
आशाओं की लगाके सीढ़ी
तूने सहारा काट लिया
भोर की लाली दिखाके तूने
किरणों की बेनूर किया
नवजीवन का दीप जलाके
नवजीवन का दीप जलाके
तूफानों की सौप दिया
तुम सो हम जागे तुमसे कुछ कहना बेकार है
तुम सो हम जागे तुमसे कुछ कहना बेकार है
दुःख के गहरे सागर में डूबा अपना संसार है