आज किसी ने बातों-बातों में
जब उनका नाम लिया
दिल ने जैसे ठोकर खाई
दर्द ने बढ़ कर थाम लिया
आज किसी ने बातों-बातों में
जब उनका नाम लिया
राह-ए-तलब में चलते-चलते
थक कर जब हम चूर हुये
राह-ए-तलब में चलते-चलते
थक कर जब हम चूर हुये
ज़ुल्फ़ की ठण्डी छाँव में बैठे
पल दो पल आराम लिया
ज़ुल्फ़ की ठण्डी छाँव में बैठे
पल दो पल आराम लिया
दीवारों के साये-साये
उम्र बिताई दीवाने
दीवारों के साये-साये
उम्र बिताई दीवाने
मुफ़्त में तन आसानी-ए-ग़म का
अपने सर इल्ज़ाम लिया
आज किसी ने बातों-बातों में
जब उनका नाम लिया
घर से दामन झाड़ के निकले
वहशत का सामान न पूछ
घर से दामन झाड़ के निकले
वहशत का सामान न पूछ
यानी गर्द-ए-राह से हमने
रख़्त-ए-सफ़र का काम लिया
आज किसी ने बातों-बातों में
जब उनका नाम लिया