आँसू समझ के क्यों मुझे आँख से तुमने गिरा दिया
मोती किसी के प्यार का मिट्टी में क्यों मिला दिया
आँसू समझ के क् यों मुझे
जो ना चमन में खिल सका मैं वो गरीब फूल हूँ
जो ना चमन में खिल सका मैं वो गरीब फूल हूँ
जो कुछ भी हूँ बहार की छोटीसी एक भूल हूँ
जिस ने खिला के खुद मुझे, खुद ही मुझे भूला दिया
आँसू समझ के क् यों मुझे आँख से तुमने गिरा दिया
आँसू समझ के क् यों मुझे
मेरी खता माफ़ मैं भूले से आ गया यहाँ
मेरी खता माफ़ मैं भूले से आ गया यहाँ
वर्ना मुझे भी है खबर, मेरा नहीं है ये जहां
डूब चला था नींद में, अच्छा किया जगा दिया
आँसू समझ के क् यों मुझे आँख से तुमने गिरा दिया
मोती किसी के प्यार का मिट्टी में क्यों मिला दिया
आँसू समझ के क् यों मुझे