मैं पागल मेरा मनवा पागल
पागल मेरी प्रीत रे
पगलेपन की पीड़ वो जाने
बिछड़े जिसका मीत रे
मैं पागल मेरा मनवा पागल
पागल मेरी प्रीत रे मैं पागल
कहे ये दुनिया मैं दीवाना
दिन में देखूँ सपने
दीवानी दुनिया क्या जाने
दीवानी दुनिया क्या जाने
ये सपने हैं अपने
ये सपने हैं अपने
घायल मन की हंसी उड़ाये
ये दुनिया की रीत रे, मैं पागल
छुपी हुई मेरी काया में
राख किसी परवाने की
छुपी हुई मेरी काया में
राख किसी परवाने की
ये मेरा दुखिया जीवन है
रूह किसी दीवाने की
मन के टूटे तार बजाकर
गाऊँ अपने गीत रे
मैं पागल मेरा मनवा पागल
पागल मेरी प्रीत रे, मैं पागल