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Tehzeeb - Ranjish Hi Sahi Lyrics



Tehzeeb - Ranjish Hi Sahi Lyrics
Official




रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ वाह वाह
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझसे ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ वाह वाह
तू मुझसे ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
पहले से मरासिम ना सही फिर भी कभी तो
पहले से मरासिम ना सही फिर भी कभी तो
रस्म-ओ-रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ वाह वाह
रस्म-ओ-रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ
ओर रस्म-ओ-रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ
अब तक दिल-ए-खुशफ़हम को है तुझ से उम्मीदें
अब तक दिल-ए-खुशफ़हम को है तुझ से उम्मीदें
ये आखिरी शम्में भी बुझाने के लिए आ वाह वाह
ये आखिरी शम्में भी बुझाने के लिए आ
ओर एक उम्र से हूँ लज्जत-ए-गिर्या से भी महरूम क्या बात है वाह वाह
एक उम्र से हूँ लज्जत-ए-गिर्या से भी महरूम
ऐ राहत-ए-जां मुझको रुलाने के लिए आ वाह वाह
ऐ राहत-ए-जां मुझको रुलाने के लिए आ
कुछ तो मेरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख वाह वाह
कुछ तो मेरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ वाह वाह
कुछ तो मेरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख क्या बात है (वाह वाह)
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ
ए ए रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
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रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ वाह वाह
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझसे ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ वाह वाह
तू मुझसे ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
पहले से मरासिम ना सही फिर भी कभी तो
पहले से मरासिम ना सही फिर भी कभी तो
रस्म-ओ-रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ वाह वाह
रस्म-ओ-रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ
ओर रस्म-ओ-रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ
अब तक दिल-ए-खुशफ़हम को है तुझ से उम्मीदें
अब तक दिल-ए-खुशफ़हम को है तुझ से उम्मीदें
ये आखिरी शम्में भी बुझाने के लिए आ वाह वाह
ये आखिरी शम्में भी बुझाने के लिए आ
ओर एक उम्र से हूँ लज्जत-ए-गिर्या से भी महरूम क्या बात है वाह वाह
एक उम्र से हूँ लज्जत-ए-गिर्या से भी महरूम
ऐ राहत-ए-जां मुझको रुलाने के लिए आ वाह वाह
ऐ राहत-ए-जां मुझको रुलाने के लिए आ
कुछ तो मेरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख वाह वाह
कुछ तो मेरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ वाह वाह
कुछ तो मेरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख क्या बात है (वाह वाह)
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ
ए ए रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
[ Correct these Lyrics ]
Writer: AHMED FARAZ, NISAR BAZMI/SRINIVASAN (RE ARRANGED)
Copyright: Lyrics © Royalty Network, Kobalt Music Publishing Ltd.

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