Back to Top

Usha Mangeshkar - Kaya Ka Pinjra Dole Re Lyrics

theme

Usha Mangeshkar - Kaya Ka Pinjra Dole Re Lyrics
Official




काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले
काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले
एक सांस का पंछी बोले

तन नगरी मन है मंदिर
परमात्मा जिस के अंदर
तन नगरी मन है मंदिर परमात्मा जिस के अंदर
दो नैन है शुद्ध समंदर अरे पापी पाप को धोले रे
एक सांस का पंछी बोले
काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले

आने के साक्षी जाना
जाने से क्या पछताना
आने के साक्षी जाना, जाने से क्या पछताना
दुनिया मुसाफिर खाना, अब जाग जगत या सोले रे
एक सांस का पंछी बोले
काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले

माँ बाप पत्नी पति सारे
कोई भी नहीं किसी का
माँ बाप पत्नी पति सारे, कोई भी नहीं किसी का
झगड़ा है जीते जी का,क्यूँ गुप्त भेद को खोले रे
एक सांस का पंछी बोले
काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले
एक सांस का पंछी बोले, एक सांस का पंछी बोले
[ Correct these Lyrics ]

We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.


We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.




काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले
काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले
एक सांस का पंछी बोले

तन नगरी मन है मंदिर
परमात्मा जिस के अंदर
तन नगरी मन है मंदिर परमात्मा जिस के अंदर
दो नैन है शुद्ध समंदर अरे पापी पाप को धोले रे
एक सांस का पंछी बोले
काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले

आने के साक्षी जाना
जाने से क्या पछताना
आने के साक्षी जाना, जाने से क्या पछताना
दुनिया मुसाफिर खाना, अब जाग जगत या सोले रे
एक सांस का पंछी बोले
काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले

माँ बाप पत्नी पति सारे
कोई भी नहीं किसी का
माँ बाप पत्नी पति सारे, कोई भी नहीं किसी का
झगड़ा है जीते जी का,क्यूँ गुप्त भेद को खोले रे
एक सांस का पंछी बोले
काया का पिंजरा डोले रे, एक सांस का पंछी बोले
एक सांस का पंछी बोले, एक सांस का पंछी बोले
[ Correct these Lyrics ]
Writer: RAGHUNATH SETH
Copyright: Lyrics © Royalty Network
LyricFind




Usha Mangeshkar - Kaya Ka Pinjra Dole Re Video
(Here for Video at the top of page)


Performed By: Usha Mangeshkar
Length: 4:43
Written by: RAGHUNATH SETH

Tags:
No tags yet