दर्द पहले से हैं ज्यादा
खुद से फिर ये किया वादा
खामोश नजरें रहें बेजुबां
बातों पहले सी बातें हैं
बोलो तो लब थर थराते हैं
राज़ ये दिल का
ना हो बयां
हो गया हैं असर कोई हम पे नहीं
हमसफर में तो हैं
हमसफर हैं नहीं
दुर जाता रहा
पास आता रहा
खामखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा
तूने जो न कहा
मैं वो सुनता रहा
खामखा बेवजह ख्वाब बुनता रहा