[ Featuring Bhupinder Singh, DJ MHD IND ]
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
बैठे रहे तसव्वुर
जाना किये हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
बैठे रहे तसव्वुर
जाना किये हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
जाड़ों की नर्म धूप और
आँगन में लेट कर
जाड़ों की नर्म धूप और
आँगन में लेट कर
आँखों पे खींच कर तेरे
आँचल के साये को
औंधे पड़े रहे कभी
करवट लिए हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
या गर्मियों की रात जो
पुरवईया चले
या गर्मियों की रात जो
पुरवईया चले
ठंडी सफ़ेद चादरों पे
जागे देर तक
तारो को देखते रहे
छत पर पड़े हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
बर्फीली सर्दियों में
किसी भी पहाड़ पर
बर्फीली सर्दियों में
किसी भी पहाड़ पर
वादी में गूंजती हुई
खामोशियाँ सुने
आँखों में भीगे भीगे से
लम्हे लिए हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
बैठे रहे तसव्वुर
जाना किये हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन