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Dil Dhundta Hain [Jhankar Beats] Video (MV)




Performed By: DJ HARSHIT SHAH
Featuring: Bhupinder Singh, DJ MHD IND
Language: Hindi
Length: 7:23
Written by: Gulzar, Madan Mohan




DJ HARSHIT SHAH - Dil Dhundta Hain [Jhankar Beats] Lyrics
Official




[ Featuring Bhupinder Singh, DJ MHD IND ]

दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
बैठे रहे तसव्वुर
जाना किये हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन

दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
बैठे रहे तसव्वुर
जाना किये हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन

जाड़ों की नर्म धूप और
आँगन में लेट कर
जाड़ों की नर्म धूप और
आँगन में लेट कर
आँखों पे खींच कर तेरे
आँचल के साये को
औंधे पड़े रहे कभी
करवट लिए हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन

या गर्मियों की रात जो
पुरवईया चले
या गर्मियों की रात जो
पुरवईया चले
ठंडी सफ़ेद चादरों पे
जागे देर तक
तारो को देखते रहे
छत पर पड़े हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन

बर्फीली सर्दियों में
किसी भी पहाड़ पर
बर्फीली सर्दियों में
किसी भी पहाड़ पर
वादी में गूंजती हुई
खामोशियाँ सुने
आँखों में भीगे भीगे से
लम्हे लिए हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
बैठे रहे तसव्वुर
जाना किये हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
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Romanized

दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
बैठे रहे तसव्वुर
जाना किये हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन

दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
बैठे रहे तसव्वुर
जाना किये हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन

जाड़ों की नर्म धूप और
आँगन में लेट कर
जाड़ों की नर्म धूप और
आँगन में लेट कर
आँखों पे खींच कर तेरे
आँचल के साये को
औंधे पड़े रहे कभी
करवट लिए हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन

या गर्मियों की रात जो
पुरवईया चले
या गर्मियों की रात जो
पुरवईया चले
ठंडी सफ़ेद चादरों पे
जागे देर तक
तारो को देखते रहे
छत पर पड़े हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन

बर्फीली सर्दियों में
किसी भी पहाड़ पर
बर्फीली सर्दियों में
किसी भी पहाड़ पर
वादी में गूंजती हुई
खामोशियाँ सुने
आँखों में भीगे भीगे से
लम्हे लिए हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
बैठे रहे तसव्वुर
जाना किये हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फुर्सत के रात दिन
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Gulzar, Madan Mohan
Copyright: Lyrics © Royalty Network


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