आज से सेकड़ो वर्ष पहले
अरब के लोग सरघॉ की तलाश मे
कबीला दर कबीला फिरा करते था
मिल गया तकदीर से चश्मा यहा
है मगन है दो अरब के ख़ानदान
एक कबीला आमरी अक सरवरी
दोनो सरदारो के कायम अफ़सरी
मिल के रहते थे ये दोनो कारवाँ
एक बहोट छोटा सा मक्तब था यहा
कैसे और लैला जिसमे पढ़ते थे मुदाम
कैसे लिकता रहता था लैला का नाम
लैला का नाम
लैला का नाम